Sunday, April 27, 2014

विकास के चक्रधारी

भारतीय पुराणों मे कृष्ण एक विलक्षण किरदार हैं। महाभारत का संपूर्ण समर कृष्ण के इर्दगिर्द, उनकी रणनीतियों पर घूमता है। बगैर सेनापति हुए, बगैर शस्त्र धारण किए कृष्ण ने अपने पक्ष नेतृत्व किया। कमजोर क्षणों मे अपने लोगों का उत्साह बढ़ाया और सीमित संसाधनों का बेहतरीन प्रयोग किया। महान मनुष्य ही कालांतर मे किवदंतियों का आधार बनते बनते देवता का दर्जा पा जाते है।  

उंगलियों पर सुदर्शन चक्र घारण किए हुए श्रीकृष्ण, चक्रधर भी कहलाते है। बडे डूमरपाली निवासी चक्रधर डनसेना भी सिर्फ नाम में ही अपने आराध्य के अनुगामी नही है। 

मुबई हावड़ा रेलमार्ग पर छोटे से स्टेशन, राबर्टसन से 2 किमी दूर बसा है बड़े डूमरपाली। मांड के किनारे इस गांव के पूर्व गौटिया बच्चूराम डनसेना के ज्येष्ठ पुत्र चक्रधर है। शिक्षा इनकी बारहवीं तक है। ग्राम के सामाजिक कार्यों मे सदा भागीदारी देने वाले चक्रधर को 2012 मे ग्रामसभा ने सर्वसम्मति से जलग्रहण कमेटी का अध्यक्ष चुना। इस कमेटी का गठन, भारत शासन और छत्तीसगढ सरकार द्वारा प्रायोजित भूजल संरक्षण कार्यक्रम संचालन करने के लिए है। 

चक्रधर डनसेना ने जनमित्रम द्वारा आयोजित कुछ प्रशिक्षणों में कार्यक्रम की संपूर्ण समझ बनाई। फिर कमेटी के अपने साथियों सत्यनारायण, जानकीबाई, भरतलाल, कोसाबाई आदि के साथ जुट गए। सबसे पहली समस्या थी पेयजल की.. सो कमेटी ने इसकी स्थाई व्यवस्था निर्णय लिया। बीच बस्ती के लिए अंबेडकर नगर के लिए बोर और पानी टंकी का प्रस्ताव किया गया। जिला पंचायत से स्वीकृति तो हुइ, मगर बजट सीमा के कारण दो टंकी और मात्र एक बोर की। मुख्य बस्ती मे पहली टंकी बनी और कलकल करते जल से पूरा गांव ख़ुशी से झूम उठा। 

चक्रधर डनसेना ने इस दौरान गांव मे भू-जल संरक्षण की योजना बनवाई। ग्रामीणों ने अपने पारंपरिक ज्ञान का प्रयोग किया तो जनमित्रम ने भी ग्राम का जियो-सेटेलाइट आधारित जलअपवाह अध्ययन प्रस्तुत किया। मिलकर पानी रोकने की रणनीति बनी। नदी के किनारे बसे होने के कारण अधिकांषतः  मेड़बंदी और बंड निर्माण करने की आवशयकता थी। 


प्रथम चरण की योजना पास होकर फंड कमेटी के पास आ गया तो बंड निर्माण के कार्य शुरू हो गए। बाबूलाल, सोहनलाल गणपति और श्रीतम आदि के खेतो मे सर्वप्रथम कार्य हुआ। चक्रधर ने अनोखी नीति अपनाई। बंड के निर्माण के लिए आवश्यक मिट्टी की खुदाई ऐसे स्थान से कराई कि जिससे गरीब किसानों के खेतों का रकबा बढ़ गया, अर्थात एक पंथ दो काज। इनके द्वारा निर्मित बंड से लगभग 14 एकड़ भूमि का ट्रीटमेण्ट हुआ तो 3 एकड़ से अधिक भूमि कृषि उपयोग मे बढ़ गई।  

मगर अंबेडकर बस्ती मे बोर के बगैर पास हुई टंकी का मसला उन्हे बेचैन किए हुए था। कुछ दूरी पर पुराने डिफंक्ट बोर मे पंप और सफाई कराकर सक्रिय किया जाए तो बात बन सकती है। भूमि सुधार मे कृषक अंशदान की राशि बढाई गई। साथ ही सुधारी गई भूमि के कृषको से भी सहयोग मांगा गया। देखते ही देखते यह टंकी भी बनी और अंबेडकरनगर मे भी जलधारा का प्रबंध हुआ और तीस परिवार लाभान्वित हुए। 


भूमिधारियों को लाभ मिला तो भमिहीनों के लिए भी कुछ किया जाना था। गांव मे तीन स्व सहायता समूहों का गठन हुआ। समूहों को कमेटी के माध्यम से ऋण दिया गया। कार्तिकलाल और उसकी पत्नी सुशीला ने 17000 रूपये लिए और एक दुकान खोल ली. अब दिन का डेढ दो सौ रूपये कमा लेते है। यादमती ने 16000 रूपये लिए और अपनी बाड़ी मे ही साग भाजी उगाकर दिन के तीन सौ रूपये कमा रही है। मीना सारथी ने 5000 रूपये लेकर दो सूअर खरीदे। इनके पांच बच्चे हो चुके है, समय आने पर हर एक पांच से 7 हजार रूपये तक बिक जाएगा। 

गांव मे शराब का प्रचलन ज्यादा रहा है अतः भूमि संसाधनों पर जरूरत भर का हीं कमाया जाता है। चक्रधर ने कृषि उद्यमशीलता को बढावा देते रहे है। गांव के एक दर्जन किसान जहां श्री-विधी से धान की खेती कर रहे है। वही आदिवासी कृषकों को विशेश मार्गदर्शन देकर मूगफली, हरी सब्जी और नगदी फसलों के लिए प्रोत्साहित किया है।


चक्रधर डनसेना की चुनौतियां कम नहीं है। मगर समस्याओं से उबरने का उनका अपना अंदाज भी है। जलग्रहण समिति को विगत एक साल से राशि न मिल सकी। पूर्व के कार्यो से आशान्वित कई किसान ने अपनी भूमि मे मेड़बंदी और भमि सुधार कार्य के लिए दबाव डाल रहे थे। फंड की कमी बताकर उन्हें टाला जा सकता था, मगर इनके कार्य मनरेगा से प्रस्तावित करा दिए गए। इनके भी काम हो गए और फण्ड क़ी कमीं से भू-जल संरक्षण की धारा भी रुकने से बच गयी।  अभिसरण का ऐसा सुन्दर संयोजन कम ही देखने को मिलता है। 

बाबूलाल और सुरीत राठिया के खेतों मे उगी सूरजमुखी के बीच टहलते हुए चक्रधर डनसेना का चेहरा स्वयं किसी सूर्यमुखी से कम दीप्त नहीं है। बड़े डूमरपाली मे विकास का ताना बाना उनके इर्दगिर्द, उनकी रणनीतियों पर घूम रहा है। बगैर किसी बड़े पद या अधिकार के वह ऐसी जिम्मेदारी निबाह रहे है जिस प्रतिदान उन्हे मानसिक संतुष्टि के सिवा कुछ न मिलेगा। बाबूलाल की चौकी  पर बैठकर उसका उत्साह बढाते चक्रधर को देखकर लगता है कि हां, ऐसे महान मनुष्य ही कालांतर मे देवता का दर्जा पा जाते है।  

आप भी मोबाइल नं ९६६९८६४७२५  पर उनसे बात कर, उनका उत्साहवर्धन कर सकते हैं 

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