बंदगोभी की खूबसूरत क्यारियों के बीच गौरीशंकर पटेल खड़े हैं, दोनो बाहें फैलाए। ये शाहरूखिया अंदाज, थोड़ा दिखावटी, थोड़ा कैमरे के लिए को पोज देने के लिए है जरूर है, मगर उसके इर्दगिर्द फैले छह एकड़ की उंची नीची भूमि मे खिली सब्जियों की क्यारियां, उसकी मुस्कान की तरह असली हैं।
अपने से उम्रदराज कृषकों के कात्यायनी समूह का यह युवा लीडर सुबह मुंह अन्धेरे उठता है। सब्जियों के अपने बगीचे की एक एक क्यारी घूमता है। अपने साथियो को जरूरी निर्देश देकर वहीं कुंऐ पर नहा धोकर तैयार होता है। कुछ समय बाद अपने दो पहियों के ट्रक मे ( जो दरअसल एक स्प्लेण्डर मोटरसायकल है), डेढ दो क्विंटल सब्जियां लादकर 15 से 25 किमी दूर किसी साप्ताहिक बाजार मे चला जाता है।गौरीशंकर के दादा वेदराम, पास के पामगढ के निवासी थे। मांड के किनारे बसे पामगढ मे उनकी जमीन नदी मे जज्ब हो गई, तो दो-तीन एकड़ जमीन जबलपुर मे ले ली गई। बरसाती नाले के किनारे की पहाड़ीनुमा इस जमीन पर कर्रा का छुटपुट जंगल था। इसी जमीन पर सागभाजी की शुरूआत हुई। दादा के इस काम को व्यावसायिक और तकनीकी स्वरूप गौरी’ांकर ने दिया है। अपने 3 एकड़ जमीन केे आसपास दूसरों को प्रोत्साहित कर सामूहिक काम के लिए उसने कात्यायनी समूह बनाया। साथी भोकसिंह, हीरालाल, मोहितराम और लूतन के जमीनों को जोड़ कर तो रकबा दुगना कर लिया। इससे सभी को फायदा हो रहा है। सब्जियों की बिक्री से इनको दैनिक 1500 तक की शुद्ध आय हो जाती है।
गौरीशंकर बताते हैं कि गांव चल रहे जलग्रहण कार्यक्रम से सब्जियों की वेरायटी, सीजन आदि की जानकारी हुई। अब वह सब्जी ऐसे लगाता है कि उसका उत्पादन सीजन मे सबसे पहले आए, जब दाम उंचे होते है। इससे फायदा बढ गया है। पहले सिर्फ आलू टमाटर पर जोर था, अब हरी सब्जियों का रकगा बढाया गया है। जलग्रहण वालों ने कृषि विभाग से स्प्रिंकलर दिलवा दिए, जिससे हरी सब्जियां उगाने मे मदद मिलती है। शीघ्र ही वर्मीकम्पोस्ट तैयार करना शुरू करेगा, जिससे खाद आदि का खर्च और घट जाएगा। पिछले साल मे उनके समूह ने 2 बार ऋण लिया है। एक बार पच्चीस हजार और दूसरी बार पचास हजार। इसे पटाने के बाद उसकी योजना एक मालवाहक आटो लेने की है।
सुबह से खेत और बाजार मे भागते गौरीशंकर की शामें घर मे गुजरती है। पत्नी कविता और तीन बच्चों के के साथ घर मे माता पिता भी हैं। दस साल का बेटा सालिक को वह कृषि वैज्ञानिक बनाना चाहता है। और 6 साल की बातूनी शीला, निश्चित रूप से वकील बनेगी।
अपने बगीचे, व्यवसाय और परिवार के बीच सिमटी जिंदगी मे गौरीशंकर बेहद खुश है। जिसका पूरा क्रेडिट भगवान भोले शंकर को है जो उस पर कृपा दृष्टि बनाए हुए है। निदा फाजली की पंक्तियां उसपर सटीक बैठती है
छोटा कर के देखिए , जीवन का विस्तार,
आँखों भर आकाश है, बाहों भर संसार !!
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Contributed by Manish Singh
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