खरसिया से 20 कि.मी. पूर्व मे जबलपुर गांव है जहां सुकदेव सारथी निवास करते है। लगभग 40 की उम्र के सुखदेव को तीन भाइयों मे थे, और उन्हें पौने तीन एकड़ एकड भूमि विरासत मे मिली । एक फसली और लगभग बंजर भूमि गुजर बसर के लिए अपर्याप्त थी। कृषि मजूदरी और यहां वहां काम करते हुए सुखदेव का जीवन संकटों से घिरा था।
वर्ष 2011-12 मे जबलपुर मे जलग्रहण कार्यक्रम शुरू हुआ। इसके तहत भूमि एवं जल संरक्षण के कार्य हो रहे थे, मगर स्वचयं की भूमि कम होने के कारण इसका सुखदेव को इसका लाभ नहीं था। वह तो आपने एक रि’तेदार की तरह वह भी मुर्गी का धंधा करना चाहता था। एक दिन जलग्रहण समिति की बैंठक के दौरान पीआइए सदस्य श्री अ’वनी चैहान से उसने अपने मन कर बात रखी। श्री चैहान ने उसे प्रोत्साहित किया । उसे बताया कि परियोजना के तहत जलग्रहण समिति के माध्यम से आसान ऋण दिया जा सकता था।
जलग्रहण समिति जबलपुर ने, उसके नवीन उद्यम के लिए 25000 रू की प्रारंभिक सहायता की। अपने घर के आंगन मे सुखदेव ने मुर्गियों का बाड़ा तैयार किया और पहली बार वह 200 चुजे ला कर मुर्गी पालना शुरू किया। पत्नी एवं पुत्र ने भी सहयोग किया। चार माह के भीतर पहले ऋण को चुकाते हुए सुखदेव ने मामूली मुनाफा हासिल किया। पर इस प्रक्रिया मे उसका आत्मवि’वास बढ़ा, व्यवासायिक संपर्क बने, अनुभव हुआ तथा व्यवसाय मे उपयोग होने वाले कुछ उपकरण एवं सामग्री इकटठा हो गई।
शीघ्र ही सुखदेव पुनः ऋण की मांग के साथ हाजिर था। इस बार जलग्रहण समिति ने स्व सहायता समूहों की सहकारी समिति के सहयोग से पचास हजार रूपये का ऋण दिलाया। सुखदेव ने इस बार बाड़े का आकार बढाकर 1500 चूजे डाले। सूझ बूझ, परीश्रम और आत्मवि’वास के साथ उसने आगामी दो चक्र मे 2,30,000 (दो लाख तीस हजार रूपया ) केी कमाई की। मुर्गी विक्रेता अब उसके घर का पता पूछते हुए आने लगे।
सालभर के भीतर सुखदेव की किस्मत पलट चुकी है। वह अगले चक्र की तैयारी में है। उसके बाड़े का क्षेत्रफल लम्बाई 40 फीट और चैडाई 20 फीट है। उसने बाड़े के पास एक छोटा तालाब खुदवा रहा है जिसमे मछली पालन किया जाएगा। पीआए श्री चैहान के मुताबिक यह योजना इसलिए है कि मुर्गियों की बीट मछलियों के लिए उच्च गुणवत्ता का भोजन है और इससे वे तीव्रता से वृद्धि करती हैं। इस मुनाफे का एक अं’ा अपनी एकफसली भूमि पर सिचाई व्यवस्था के लिए भी खर्च किया। लगभग 50000 रूपये की लागत से बोर सिचाई हेतु बोर उपलब्ध करवाया। नतीजतन अब उस भूमि पर साल भर फसल लेने की स्थिति है।
सुखदेव की प्रेरणा से ग्राम मे 4 अन्य परिवार भी मुर्गी पालन शुरू कर चुके हैं तथा सुखदेव से मार्गदर्’ान और बाजार व्यवस्था पा रहे है। ग्राम मे और भी परिवार इच्छुक है। पीआइए जनमित्रम कल्याण समिति की योजना इन्हे एक मुर्गीपालक उत्पादन सहकारी समिति मे परिवर्तित करने की है। अनुसूचित जाति का यह कृषक अपनी आर्थिक सफलता और गांव मे बढ़े हुए महत्व से अभिभूत है और इसका सारा श्रेय गांव मे चल रहे जलग्रहण कार्यक्रम और अपनी जलग्रहण समिति के अध्यक्ष श्री हेतराम राठिया एवं पीआइए सदस्य श्री अ’वनी चैहान को को देता है।
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Contributed by - Shri Santosh Paddey,
Block mentor and Programme Director
वर्ष 2011-12 मे जबलपुर मे जलग्रहण कार्यक्रम शुरू हुआ। इसके तहत भूमि एवं जल संरक्षण के कार्य हो रहे थे, मगर स्वचयं की भूमि कम होने के कारण इसका सुखदेव को इसका लाभ नहीं था। वह तो आपने एक रि’तेदार की तरह वह भी मुर्गी का धंधा करना चाहता था। एक दिन जलग्रहण समिति की बैंठक के दौरान पीआइए सदस्य श्री अ’वनी चैहान से उसने अपने मन कर बात रखी। श्री चैहान ने उसे प्रोत्साहित किया । उसे बताया कि परियोजना के तहत जलग्रहण समिति के माध्यम से आसान ऋण दिया जा सकता था।
जलग्रहण समिति जबलपुर ने, उसके नवीन उद्यम के लिए 25000 रू की प्रारंभिक सहायता की। अपने घर के आंगन मे सुखदेव ने मुर्गियों का बाड़ा तैयार किया और पहली बार वह 200 चुजे ला कर मुर्गी पालना शुरू किया। पत्नी एवं पुत्र ने भी सहयोग किया। चार माह के भीतर पहले ऋण को चुकाते हुए सुखदेव ने मामूली मुनाफा हासिल किया। पर इस प्रक्रिया मे उसका आत्मवि’वास बढ़ा, व्यवासायिक संपर्क बने, अनुभव हुआ तथा व्यवसाय मे उपयोग होने वाले कुछ उपकरण एवं सामग्री इकटठा हो गई।
शीघ्र ही सुखदेव पुनः ऋण की मांग के साथ हाजिर था। इस बार जलग्रहण समिति ने स्व सहायता समूहों की सहकारी समिति के सहयोग से पचास हजार रूपये का ऋण दिलाया। सुखदेव ने इस बार बाड़े का आकार बढाकर 1500 चूजे डाले। सूझ बूझ, परीश्रम और आत्मवि’वास के साथ उसने आगामी दो चक्र मे 2,30,000 (दो लाख तीस हजार रूपया ) केी कमाई की। मुर्गी विक्रेता अब उसके घर का पता पूछते हुए आने लगे।
सालभर के भीतर सुखदेव की किस्मत पलट चुकी है। वह अगले चक्र की तैयारी में है। उसके बाड़े का क्षेत्रफल लम्बाई 40 फीट और चैडाई 20 फीट है। उसने बाड़े के पास एक छोटा तालाब खुदवा रहा है जिसमे मछली पालन किया जाएगा। पीआए श्री चैहान के मुताबिक यह योजना इसलिए है कि मुर्गियों की बीट मछलियों के लिए उच्च गुणवत्ता का भोजन है और इससे वे तीव्रता से वृद्धि करती हैं। इस मुनाफे का एक अं’ा अपनी एकफसली भूमि पर सिचाई व्यवस्था के लिए भी खर्च किया। लगभग 50000 रूपये की लागत से बोर सिचाई हेतु बोर उपलब्ध करवाया। नतीजतन अब उस भूमि पर साल भर फसल लेने की स्थिति है।
सुखदेव की प्रेरणा से ग्राम मे 4 अन्य परिवार भी मुर्गी पालन शुरू कर चुके हैं तथा सुखदेव से मार्गदर्’ान और बाजार व्यवस्था पा रहे है। ग्राम मे और भी परिवार इच्छुक है। पीआइए जनमित्रम कल्याण समिति की योजना इन्हे एक मुर्गीपालक उत्पादन सहकारी समिति मे परिवर्तित करने की है। अनुसूचित जाति का यह कृषक अपनी आर्थिक सफलता और गांव मे बढ़े हुए महत्व से अभिभूत है और इसका सारा श्रेय गांव मे चल रहे जलग्रहण कार्यक्रम और अपनी जलग्रहण समिति के अध्यक्ष श्री हेतराम राठिया एवं पीआइए सदस्य श्री अ’वनी चैहान को को देता है।
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